दोस्तों आपने लूडो खेल के विषय में तो अवश्य ही सुना होगा क्योंकि यह गेम सदियों पुराना है जिससे बहुत से लोगों का बचपन भी जुड़ा हुआ है वैसे तो इस गेम के आकर्षण एवं रोचक होने के कारण सभी लोग इस गेम को खेलना बेहद पसंद करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ ?
बहुत से लूडो गेम खेलने वाले खिलाड़ियों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर इस गेम की उत्पत्ति कब हुई है अगर आप भी इस विषय में सोच रहे हैं तो आज आपके इस सवाल का जवाब हमारे पास है नीचे इस लेख में हम आप लोगों को लूडो गेम किस वर्ष प्रकट हुआ और इस गेम से जुड़ी ऐसी ही रोचक जानकारी देंगे.
जिसे जानने के लिए ज्यादातर खिलाड़ियों के मन में उत्सुकता बनी रहती है तो आप में से जिस भी व्यक्ति को लूडो खेल से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी को प्राप्त करना है उसे इस लेख में इस तथ्य से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तार पूर्वक मिल जाएगी बेहतर जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक अवश्य पढ़े .
लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ ? | Ludo Khel kis varsh prakat hua ?
लूडो एक बहुत ही प्राचीन खेल है जिसकी उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि इस खेल की उत्पत्ति महाभारत से भी पहले हुई है ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार महाभारत के समय में भी लूडो खेला जाता था इसके प्रमाण मौजूद हैं अगर हम लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ है इस विषय पर गहन चर्चा करें तो वर्तमान समय में लोगों के बीच में यह लूडो खेल बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है.
इसकी उत्पत्ति 1896 में अल्फ्रेड कोलियर द्वारा इंग्लैंड में हुई जानकारी के मुताबिक लूडो खेल की शुरुआत छठी शताब्दी मैं हुई थी लेकिन भारत देश में लूडो खेल की उत्पत्ति का पहला प्रमाण एलोरा की गुफाओं से मिलता है. इस गुफा में ऐसे चित्र दीवारों पर चिपके हुए दृश्यमान होते हैं जिन्हें देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि यह आज के लूडो से मिलते जुलते हैं या फिर लूडो खेल इन्हीं से प्रकट हुआ है.
लूडो खेल का आविष्कार किसने किया ?
लूडो एक मल्टीप्लेयर बोर्ड गेम है जिसे न्यूनतम दो एवं अधिकतम चार खिलाड़ियों के मध्य खेला जाता है इस खेल का अविष्कार इंग्लैंड के प्रसिद्ध व्यक्ति अल्फ्रेड कोलियर द्वारा किया गया इन्हें लूडो खेल का जनक भी कहा जाता है प्राचीन समय में लूडो खेल को पच्चीसी, चौपड़, चौसर, पगड़े, दायकटम, सोकटम और वर्जेस जैसे नामों से जाना जाता था.
उस समय लोग इस गेम को एक स्थान पर बैठकर खेलते थे लेकिन अब बदलते युग में लूडो जैसे गेम ऑनलाइन आ गए हैं अब लोग इस गेम को ज्यादातर मोबाइल फोन पर खेलते हैं क्योंकि मोबाइल फोन पर लूडो गेम खेलने के लिए साथ में बैठने की आवश्यकता नहीं होती है आप दूर दराज देश में निवास कर रहे अपने दोस्त या फिर किसी अजनबी व्यक्ति के साथ भी इस गेम को खेल कर मस्ती कर सकते हैं.
यह आर्टिकल पढ़ें : लूडो किंग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी – उत्पत्ति और कैसे खेले? | Ludo king ke bare me
लूडो कितने देशो में खेला जाता है ?
लूडो गेम को केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खेला जाता है लूडो गेम को लगातार एशियाई देशों से लोकप्रियता मिल रही है वहां के लोग इस गेम को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं. जैसे हम बात करें लूडो किंग गेम की तो लूडो किंग एक ऐसा गेम है जो की 15 भाषण में उपलब्ध है और इस गेम को 30 देश के नागरिक खेलते हैं.
वैसे लूडो गेम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के गेम ऐप उपलब्ध हैं जिसमें से प्रत्येक गेम विभिन्न देश के लोग खेलते हैं. प्राचीन समय में लूडो गेम को लोग मनोरंजन तक ही सीमित रखते थे लेकिन अब तो इस गेम को लोग मनोरंजन के अलावा पैसा जीतने के उद्देश्य से भी खेलते हैं.
यही वजह है कि गेम को डाउनलोड करने वाले यूजर्स की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है क्योंकि अब लूडो गेम लोगों के मनोरंजन के साधन से ऊपर उठकर पैसा जीतने के लिए भी खेला जाने लगा है.
लूडो किस देश का गेम है ?
जैसा कि हम जानते हैं लूडो एक पारंपरिक बोर्ड गेम है लूडो बोर्ड का आकार चौकोर होता है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी एलोरा की गुफा से लूडो गेम की उत्पत्ति का पहला प्रमाण मिलता है और इस गेम को महाभारत के समय में भी खेला गया लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार आज हम जिस लूडो गेम के विषय में जानते हैं.
उसकी उत्पत्ति या फिर उस गेम के प्रकट होने का प्रमाण 18 96 इंग्लैंड के अल्फ्रेड कोलियर माना जाता है लूडो खेल किस देश का है इसके विषय में मतभेद है यह गेम चाहे जिस भी देश का हो लेकिन बहुत ही लोकप्रिय गेम है इस गेम को 60 लाख से भी ज्यादा लोग आज के समय में सक्रिय रूप से खेल कर मनोरंजन करते हैं.
लूडो खेल का हिंदी नाम क्या है ?
लूडो एक लैटिन भाषा का शब्द है यह शब्द इतना ज्यादा प्रसिद्ध है की अधिकांश लोग लूडो खेल को इसी नाम से पुकारते हैं लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि इस खेल का हिंदी नाम क्या है अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि दरअसल, लूडो को हिंदी में ‘मोक्षपट’ या ‘मोक्षपटामु’ कहा जाता है.
इसके अलावा इसे ज्ञान चौपड़ के नाम से भी जाना जाता है अगर आप लूडो को खेलने वाले एक अच्छे खिलाड़ी हैं तो आपके लिए यह सब बातें जानना बेहद जरूरी है वर्तमान समय में आप इस गेम को किसी भी स्थान पर बैठकर मनचाहे लोगों के साथ खेल सकते हैं जहां तक हम जानते हैं.
लूडो गेम खेलने से व्यक्ति का मस्तिष्क प्रभावित होता है क्योंकि गेम का व्यक्ति के मस्तिष्क पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ सकता है इसीलिए अगर आप लूडो गेम को खेलते हैं तो इस गेम को समय अनुसार ही खेले बहुत ज्यादा गेम खेलना भी स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक हो सकता है.
FAQ: लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ ?
लूडो खेल को कितने लोग खेलते हैं ?
लूडो खेल क्यों खेलते हैं ?
क्या लूडो खेलने फायदेमंद है ?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज इस लेख के माध्यम से हमने आप लोगों को लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ इसके विषय में जानकारी दी है इसके साथ ही हमने आप लोगों को लूडो खेल किस देश का है, इस खेल को हिंदी में किस नाम से जानते हैं एवं पुराने समय में इसे किस नाम से जाना जाता था.
इसके विषय में हमने आप लोगों को इस लेख में बताया है इसके अलावा लूडो का आविष्कार किसने किया इससे जुड़ी जानकारी भी हमने आप लोगों को इस लेख में विस्तार पूर्वक दी है.
अगर आप लोगों ने हमारे द्वारा दिए गए इस लेख को अच्छे से पढ़ा होगा तो आप लोगों को लूडो खेल किस वर्ष प्रकट हुआ इसके विषय में जानकारी मिल गई होगी हमें उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आप सभी को अच्छी लगी होगी और आप लोगों के लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.