लूडो की खोज कब हुई ? – लूडो का अविष्कार कब और किसने किया ? | Ludo ki khoj

लूडो की खोज | Ludo ki khoj : लूडो गेम बहुत ही लोकप्रिय गेमों  में से एक है और लगभग हर व्यक्ति बच्चे युवा वयस्क सभी यह गेम खेलना पसंद करते है और डिजिटल गेमों  में आज के दौर का सबसे लोकप्रिय गेम लूडो है और खोज की बात की जाए तो लूडो की खोज बहुत ही पुरातन है पर इसका डिजिटल दुनिया में प्रवेश नया है और लगभग हर घर में खेला जाने वाला खेल है.

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यहाँ हम आज आपको बताने वाले है की भारत और कई अन्य देशों मे खेले जाने वाले सबसे लोकप्रिय खेलों मे से एक बोर्ड गेम लूडो की खोज कहाँ हुई थी और कैसे हुई ? तो आप लोग इस लेख को पूरा जरुर पढ़ें हम उम्मीद करते है यह लेख लूडो के प्रति आपके इंटरेस्ट  और आपके ज्ञान को अवश्य बढ़ाएगा.

लूडो की खोज | Ludo ki khoj

लूडो का इतिहास बहुत ही पुराना है ये छठी शताब्दी पहले ही भारत के प्रचलन में आ गया था इसका इतिहास महाभारत और मुगल काल में भी मिलता है| पर उन लोगों के खेलने का तरीका काफी भिन्न था और मुग़ल सल्तनत के शाही लोग पासों और चालो के रूप में अपनी हरम की महिलाओं और सैनिकों का प्रयोग किया करते थे और उस वक्त इसे “पच्चीसी” के नाम से जानते थे.

लूडो का इतिहास | Ludo ka itihas

वैसे तो बहुत से लोग लूडो को लेकर बहुत से दावे करते है पर क्या आप जानते है ? लूडो का आविष्कार भारत मे हुआ था जी हां सही सुना आपने लूडो का आविष्कार भारत में ही हुआ था लूडो खेल बहुत ही पहले हमारे भारत के मनोरंजन का एक प्रसिद्ध खेल बन चुका था.

green and black dragon figurine

खोजकर्ता बताते हैं कि लूडो खेल का इतिहास महाभारत के समय में भी मिलता है जब कौरवों ने पांडवों को हराने के लिए पासों का इस्तेमाल किया था और तभी से यह खेल  प्रचलन में आया था और तब से इसे ‘चौसर’ के नाम से जानते थे.

यह एक ऐसा खेल था जिसके साक्ष्य  मुगल काल में भी मिलते हैं जब शाही खानदान के लोग इस खेल का आनंद लिया करते थे और तब शाही लोग इस खेल को पच्चीसी के रूप में खेलते थे और आज तक यह गेम प्रचलन में है हालांकि तब इसके कई नाम थे आज भी कई नाम है परंतु वर्तमान में सबसे प्रचलित नाम है लूडो खेल हर घर में खेला जाने वाला सबसे प्रसिद्ध लोकप्रिय खेल है.

लूडो के कुछ अन्य नाम | Ludo ke kuch anya naam

हम सभी जानते हैं कि लूडो का नाम बहुत ही पुराना है क्योंकि जब से हम सभी ने होश संभाला होगा हम इस गेम को खेलते आ रहे हैं हमारे दादी नानी के जमाने से ही यह खेल खेला जाता रहा है और आज के समय में यह गेम डिजिटल हो चुका है.

परंतु इसका नाम हम सभी लूडो ही सुनते आ रहे हैं परंतु जब हम पुराने से पुराने छठी शताब्दी के इतिहास को देखेंगे तो वहां पाएंगे कि लूडो के कई अन्य अन्य नाम रहे हैं पर क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर लूडो का सबसे पुराना नाम क्या रहा होगा ?

white red yellow and blue game board

चूंकी आज यह गेम देश से लेकर विदेश तक खेला जाने वाला गेम है तो जाहिर सी बात है इसके नाम भी भिन्न-भिन्न रहे होंगे पर हम आपको बताते हैं कि अन्य देशों में ही नहीं बल्कि सिर्फ भारत देश में ही लूडो के कई भिन्न-भिन्न नाम है.

सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि यह लूडो खेल कई तरीकों से भी खेला जाता है पर इसका सबसे प्रचलित नाम बोर्ड लूडो गेम है भारत का पुराना इतिहास उठाकर देखते हैं तो  भारत में इसे ‘ पच्चीसी’ और चौसर आदि के नाम से जाना जाता था और ब्रिटिश में इसे ‘उकर्स’ के नाम से जानते हैं पर भारत में इसका प्रचलित वर्तमान नाम लूडो ही है |

लूडो की उपयोगिता | Ludo ki upyogita

आज की स्ट्रेस भरी दुनिया में लोगों के पास जहां वक्त नहीं है वहीं लगभग हर व्यक्ति आजकल डिप्रेशन में पाया जाता है यहां तक की बच्चे भी अब डिप्रेस्ड होने लगे है उसकी एक वजह यह भी है कि अपने दोस्तों अपने परिवारजनो के साथ सही समय न बिता पाना इसलिए लूडो जैसे गेमों की उपयोगिता अब बढ़ गई है.

लूडो एक ऐसा गेम है जो अपने मित्रों अपने परिवारजनों के साथ हम मिलकर खेल सकते हैं और कहीं ना कहीं लूडो जैसे गेम आपकी स्ट्रेस डिप्रेशन को कम करने में काफी कारगर होते है इसलिए अब के समय में लूडो की ख्याति काफी बढ़ गई है और अब तो यह लूडो गेम डिजिटल भी हो गया है.

 

इसे हम कहीं भी बैठकर अपने फोन में किसी के भी साथ दुनिया में बैठे किसी भी व्यक्ति के साथ खेल सकते हैं और कहीं ना कहीं कुछ देर के लिए ऐसे ही हम अपना स्ट्रेस भूल सकते हैं इसलिए आज यह कह पाना गलत नहीं है कि आने वाले समय में लूडो की उपयोगिता और बढ़ेगी और बढ़ रही है क्योंकि जीवन में मनोरंजन बहुत जरूरी है.

लूडो की खोज किसने की थी ? | ludo ki khoj kisne ki thi ?

लूडो गेम की खोज कोई नई नहीं है बल्कि यह तो छठी शताब्दी पहले ही हमारे भारत में मनोरंजन का एक हिस्सा बन चुका था परंतु तब इसके नाम भिन्न-भिन्न थे बल्कि भारत से ही यह खेल कई अन्य देशों तक पहुंचा है और विदेशों में भी वर्तमान में यह गेम बहुत ही प्रसिद्ध है और वहां के लोग भी इसे बहुत ही मजे से खेलते हैं पहले तो यह गेम सिर्फ कार्ड बोर्ड तक ही था और लोग अपने घरों में रह रहे सदस्यों के साथ खेला करते थे.

a close up of a board game on the ground

इस गेम मे पहले  घर के चार सदस्य ही ले हिस्सा सकते थे परंतु अब यह गेम डिजिटल हो चुका है जिसमें 4 से 6 लोग कहीं भी बैठ कर यह गेम खेल सकते हैं और अब इस गेम की खास बात यही है कि यह गेम अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है और यह गेम अब पहले से अधिक ऑनलाइन खेले जाने वाले गेमों से सबसे सर्वश्रेष्ठ गेम है और देखा जाए तो अभी भी लोग कार्डबोर्ड पर खेलना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.

अब अगर इसकी खोज की बात की जाए तो ऐसा माना जाता है इस गेम की खोज इंग्लैंड के अल्फ्रेड कोलियर नाम के एक व्यक्ति ने 1896 में की थी और अपने नाम से इसे पेटेंट कराया था और तभी से हम सभी लूडो को जानते हैं अल्फ्रेड कोलियर के इस लूडो खेल में एक पासा सम्मिलित था जो आज भी लूडो  खेल मे क्यूब के रूप में सम्मिलित है.

FAQ: लूडो की खोज

लूडो की खोज किसने की थी?

लूडो की खोज किसने की है या तो स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता लेकिन इंग्लैंड के अल्फ्रेड कोलियर ने 1896 में अपने नाम से पेटेंट कराया था.

भारत में लूडो किंग कौन है?

भारत में लूडो किंग का नाम विकास जायसवाल है इन्होंने ही भारत में लूडो किंग की शुरुआत की थी.

लूडो का पुराना नाम क्या है?

लूडो का पुराना नाम पच्चीसी, चौसर, चौपड़, वर्जिस, सोकटम, दायलूडोकटम आदि है.

निष्कर्ष

आज के दौर मे लूडो के प्रति आपकी बढ़ती रूचि को ध्यान में रखते हुए हमने इस लेख के माध्यम से आप लोगों को लूडो के बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध कराई है की लूडो की खोज किसने की और कब की थी और इसका इतिहास क्या है ? हम आशा करते हैं कि आपको लूडो से जुड़ी यह जानकारी काफी पसंद आई होगी और आपके लिए यह लेख लाभप्रद साबित होगा धन्यवाद.

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